रेवाड़ी, हरियाणा – हरियाणा के रेवाड़ी जिले के बनिपुर गांव से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां शुक्रवार को 10 से अधिक मवेशियों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। ग्रामीणों का आरोप है कि पास के उद्योगिक इकाइयों द्वारा जहरीले रसायनयुक्त अपशिष्ट को गांव के जल स्रोतों में छोड़ दिया गया, जिससे मवेशियों ने विषाक्त पानी पी लिया और उनकी मौत हो गई।
घटना तब सामने आई जब शुक्रवार की सुबह कई ग्रामीणों ने देखा कि उनके मवेशी बीमार पड़ रहे हैं। कुछ ही घंटों में एक-एक कर दर्जनों मवेशियों की मौत हो गई, जिससे गांव में शोक और आक्रोश का माहौल बन गया।
ग्रामीणों का आरोप: फैक्ट्रियों से छोड़ा गया जहरीला अपशिष्ट
बनिपुर गांव के लोगों ने नजदीकी फैक्ट्रियों पर आरोप लगाया है कि वे रसायनों से भरे अपशिष्ट को आसपास के नालों और जल स्रोतों में छोड़ रही हैं, जिससे न केवल पशुओं को नुकसान हो रहा है बल्कि पूरे गांव का जल प्रदूषित हो रहा है।
स्थानीय किसान रमेश यादव, जिनकी तीन गायें इस घटना में मारी गईं, ने बताया, “हम कई सालों से इस पानी के प्रदूषण की शिकायत कर रहे हैं, लेकिन किसी ने हमारी बात नहीं सुनी। अब जब हमारे जानवर मर गए हैं, तो हम किससे उम्मीद करें?”
ग्रामीणों का कहना है कि रात के समय फैक्ट्रियों से अपशिष्ट छोड़ा जाता है, जो बहते-बहते गांव के जल स्रोतों तक पहुंचता है। यह पानी मवेशियों और कभी-कभी इंसानों द्वारा भी उपयोग में लाया जाता है।
फैक्ट्रियों के बाहर फूटा ग्रामीणों का गुस्सा
शनिवार सुबह गांव के दर्जनों लोग पास की संदिग्ध औद्योगिक इकाइयों के बाहर जमा हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। ग्रामीणों ने फैक्ट्रियों पर कार्रवाई और मुआवजे की मांग की।
“हमारे जानवर मरे हैं, हमें न्याय चाहिए,” – ये नारे लगाते हुए लोग हाथों में तख्तियां लिए खड़े रहे जिन पर लिखा था – “हमारे जानवरों की हत्या बंद करो”, “हमें साफ पानी चाहिए”।
हालांकि, प्रदर्शन के दौरान कोई भी फैक्ट्री प्रतिनिधि बाहर नहीं आया और ना ही कोई सफाई दी गई, जिससे लोगों का गुस्सा और बढ़ गया।
प्रशासन ने शुरू की प्रारंभिक जांच
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अभी तक कोई आधिकारिक शिकायत नहीं मिली है, लेकिन प्रशासन ने प्रभावित स्थल से पानी के नमूने एकत्र कर जांच के लिए भेज दिए हैं।
“पानी के नमूने प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। जैसे ही रिपोर्ट आती है, आगे की कार्रवाई की जाएगी,” उन्होंने बताया।
हाई अलर्ट पर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HPCB) को भी इस मामले की जानकारी दी गई है। पर्यावरण अधिकारियों के आने वाले दिनों में दौरे की उम्मीद है।
पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरण विशेषज्ञों ने इस घटना को गंभीर बताते हुए कहा है कि अगर रसायनों से युक्त अपशिष्ट खुले में बहाया जा रहा है, तो यह न केवल जानवरों बल्कि इंसानों के लिए भी खतरा है।
पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. शालिनी कपूर ने कहा, “इस तरह के रसायन पानी में मिलकर खाद्य श्रृंखला तक पहुंच सकते हैं और गंभीर स्वास्थ्य संकट उत्पन्न कर सकते हैं। सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए और फैक्ट्रियों को जिम्मेदार ठहराना चाहिए।”
ग्रामीणों की आजीविका पर भारी असर
बनिपुर गांव के लिए मवेशी केवल जानवर नहीं, बल्कि आजीविका का प्रमुख साधन हैं। गाय-भैंसें दूध देती हैं, खेत में हल चलाने में मदद करती हैं और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं।
“हम पहले ही महंगाई और खेती की दिक्कतों से जूझ रहे हैं। अब मवेशियों का जाना हमारे लिए बहुत बड़ी मुसीबत है,” – महावीर सिंह, एक छोटे किसान ने बताया।
ग्रामीण प्रशासन से मुआवजे की मांग कर रहे हैं और साथ ही यह भी चाह रहे हैं कि उन्हें स्वच्छ जल की वैकल्पिक व्यवस्था दी जाए।
कानूनी कार्रवाई और संभावित सजा
भारत के पर्यावरण कानून के अनुसार, अगर कोई औद्योगिक इकाई बिना उपचार के रसायनयुक्त अपशिष्ट जल स्रोतों में छोड़ती है, तो उस पर भारी जुर्माना, लाइसेंस निलंबन और आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है।
अगर जांच में यह सिद्ध हो जाता है कि उद्योगों के अपशिष्ट के कारण जल प्रदूषित हुआ और मवेशियों की मौत हुई, तो इन इकाइयों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
प्रशासन और उद्योगों की भूमिका
यह घटना केवल बनिपुर गांव की नहीं है, बल्कि हरियाणा के उन सभी क्षेत्रों की चिंता है जहां औद्योगीकरण तेजी से बढ़ रहा है। ऐसी जगहों पर पर्यावरणीय नियमों का पालन कराना और समय-समय पर निरीक्षण करना बेहद जरूरी है।
सरकार और उद्योगों दोनों को यह समझने की जरूरत है कि आर्थिक विकास के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा भी जरूरी है।
- वर्तमान में ग्रामीण पानी की जांच रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं। अगर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है, तो ग्रामीणों ने आगे जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन करने की चेतावनी दी है।
- गांव के नेताओं ने एक पंचायत बैठक बुलाई है जिसमें कानूनी विकल्पों और सामूहिक रूप से प्रशासन को शिकायत देने पर चर्चा की जा रही है।
- यह घटना ग्रामीण भारत के सामने खड़े उन पर्यावरणीय खतरों की चेतावनी है, जो औद्योगीकरण की अंधी दौड़ में अनदेखा किए जा रहे हैं। अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो ऐसी घटनाएं आम हो सकती हैं, जिससे इंसान और जानवर दोनों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी।
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