जयपुर 2025 : राजस्थान की राजधानी जयपुर में आज सुबह से ही ओला, उबर, अहिरकैब्स और रैपिडो जैसे ऐप-आधारित कैब और बाइक टैक्सी ड्राइवरों की हड़ताल ने आम लोगों की आवाजाही को प्रभावित कर दिया है। इस हड़ताल में लगभग 2000 से अधिक गाड़ियां सड़कों से नदारद रहीं, जिससे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, एयरपोर्ट और अन्य भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।
हड़ताल के पीछे क्या है कारण?
इस प्रदर्शन का नेतृत्व राजस्थान वाहन चालक संगठन और क्रांतिकारी टैक्सी यूनियन द्वारा किया जा रहा है। उनका कहना है कि उनकी मांगों को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे ड्राइवरों का जीवनयापन मुश्किल होता जा रहा है।
मुख्य मांगें:
- न्यूनतम किराया सुनिश्चित किया जाए
- प्रत्येक कैब कंपनी का स्थानीय कार्यालय अनिवार्य किया जाए
- ड्राइवरों को बीमा व सुरक्षा लाभ प्रदान किए जाएं
- प्राइवेट नंबर प्लेट पर चल रही बाइक टैक्सियों पर रोक लगाई जाए
ड्राइवरों की नाराजगी के कारण
हड़ताल कर रहे ड्राइवरों का कहना है कि ऐप कंपनियां किराए को अपनी मर्जी से तय करती हैं, जिससे ड्राइवरों को सही कमाई नहीं हो पाती। इसके अलावा, जो बाइक टैक्सियां प्राइवेट नंबर प्लेट पर बिना कमर्शियल परमिट के चल रही हैं, वे लाइसेंस प्राप्त ड्राइवरों की रोजी-रोटी पर सीधा असर डाल रही हैं।
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एक प्रदर्शनकारी ड्राइवर ने कहा:
“हम दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन कंपनियां हमें कम कमीशन और ज्यादा टारगेट देती हैं। ऊपर से प्राइवेट बाइक टैक्सियां हमारे हक को छीन रही हैं।”
आम यात्रियों पर असर
सुबह से ही जयपुर शहर के मुख्य ट्रांजिट पॉइंट्स जैसे कि सिंधी कैंप बस स्टैंड, जयपुर जंक्शन रेलवे स्टेशन, और संगानेर एयरपोर्ट पर यात्री घंटों तक कैब के इंतजार में खड़े नजर आए।
जहां कुछ लोगों ने ऑटो-रिक्शा का सहारा लिया, वहीं कुछ को ऊंचे किराए पर सफर करना पड़ा। कई यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपनी परेशानी साझा की और राज्य सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की।
ऑटो रिक्शा यूनियन ने बनाई दूरी
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हालांकि, जयपुर की ऑटो रिक्शा यूनियन ने इस हड़ताल में शामिल होने से इनकार कर दिया है। यूनियन के अध्यक्ष का कहना है कि वह ड्राइवरों की मांगों से सहमत तो हैं, लेकिन अलग तरीके से समाधान की तलाश करना चाहते हैं।
सरकार की भूमिका और आगे की राह
अब तक राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ड्राइवर यूनियन का कहना है कि अगर उनकी मांगों पर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो यह हड़ताल अनिश्चितकालीन रूप ले सकती है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि मांगों को अनसुना किया गया तो वे राज्यव्यापी आंदोलन की ओर बढ़ सकते हैं।
तकनीक बनाम ड्राइवर: संतुलन जरूरी
इस हड़ताल ने एक बार फिर उस सवाल को उजागर किया है, जो तेजी से बढ़ती ऐप-आधारित सेवाओं और परंपरागत कामगारों के बीच संतुलन की मांग करता है।
ऐप कंपनियों को चाहिए कि वे न सिर्फ अपने यूजर्स को बेहतर सेवा दें, बल्कि ड्राइवरों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना भी उनकी नैतिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
- जयपुर में कैब ड्राइवरों की यह हड़ताल सिर्फ एक शहर का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के उन लाखों ड्राइवरों की आवाज़ है जो ऐप कंपनियों की नीतियों से परेशान हैं। यदि सरकार और कंपनियां समय रहते सही कदम नहीं उठाती हैं, तो ऐसे प्रदर्शन और भी बड़े पैमाने पर हो सकते हैं।
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