नई दिल्ली – भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मोटे धातु वाले ₹5 के सिक्कों का उत्पादन बंद कर दिया है। यह फैसला सिर्फ आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए भी लिया गया है।
अब से केवल पीतल से बने पतले ₹5 के सिक्के ही जारी किए जाएंगे, जबकि मोटे सिक्कों का निर्माण पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। हालांकि, ये पुराने सिक्के अब भी चलन में वैध माने जाएंगे।
क्या बदला है?
पहले तक ₹5 के दो प्रकार के सिक्के बाजार में थे:
- पीतल से बना पतला सिक्का
- मोटी धातु से बना भारी सिक्का
अब RBI ने निर्णय लिया है कि सिर्फ पतले सिक्के ही बनाए जाएंगे। मोटे सिक्कों का उत्पादन स्थायी रूप से बंद कर दिया गया है।
इस फैसले के आर्थिक कारण
सबसे बड़ा कारण यह था कि मोटे ₹5 के सिक्कों में इस्तेमाल धातु का मूल्य (metal value), उसके अंकित मूल्य (face value) से ज्यादा हो गया था।
उदाहरण के तौर पर:
- एक ₹5 का मोटा सिक्का पिघलाकर 4 से 6 रेज़र ब्लेड बनाए जा सकते थे।
- एक ब्लेड की बाजार कीमत ₹2 मानी जाए तो ₹5 के एक सिक्के से ₹8 से ₹12 की कमाई की जा सकती थी।
- इससे लोगों को सिक्कों को पिघलाकर बेचने में अधिक लाभ हो रहा था।
इस कारण से बाजार में सिक्कों की कृत्रिम कमी उत्पन्न हो रही थी और मुद्रा प्रणाली पर खतरा मंडरा रहा था।
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सुरक्षा और तस्करी से जुड़ी चिंताएं
यह मामला केवल आर्थिक नहीं था – बल्कि सुरक्षा एजेंसियों को पता चला कि इन मोटे सिक्कों की अवैध तस्करी तेजी से बढ़ रही थी, विशेष रूप से बांग्लादेश में।
RBI की रिपोर्ट में खुलासा:
- भारतीय सिक्के सीमा पार भेजे जा रहे थे।
- वहां इन्हें पिघलाकर रेज़र ब्लेड और अन्य वस्तुएं बनाई जा रही थीं।
- प्रत्येक ₹5 के सिक्के से 6 ब्लेड बनाकर ₹12 तक कमाई की जा रही थी।
यह गतिविधि केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को ही नुकसान नहीं पहुंचा रही थी, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा बन रही थी।
RBI की प्रतिक्रिया – नया सिक्का, नई नीति
इस संकट को देखते हुए RBI ने नए प्रकार का ₹5 का सिक्का डिजाइन किया, जो कि ज्यादा सुरक्षित, हल्का और सस्ता है।
नए सिक्के की खासियत:
- धातु मिश्रण (Alloy): ऐसा मटेरियल इस्तेमाल किया गया है जिसकी पिघलाने की कीमत सिक्के की कीमत से कम हो।
- डिजाइन: पतला आकार और बेहतर सुरक्षा विशेषताएं।
- संस्कृति का समावेश: भारतीय संस्कृति से जुड़े चिन्हों को डिजाइन में शामिल किया गया है।
- तस्करी अवरुद्ध: अब इस धातु से रेज़र ब्लेड बनाना लाभकारी नहीं रह गया।
भारतीय मुद्रा निर्माण की प्रक्रिया क्या है?
भारत में सिक्कों का निर्माण एक संयुक्त प्रक्रिया है जिसमें RBI और केंद्र सरकार दोनों की भूमिका होती है।
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प्रक्रिया:
- RBI नए सिक्कों के लिए प्रस्ताव देता है।
- केंद्र सरकार आर्थिक सलाहकारों के साथ निर्णय लेती है।
- अंतिम अनुमोदन के बाद मिंट (टकसाल) में निर्माण शुरू होता है।
ठीक इसी प्रक्रिया का पालन कर मोटे ₹5 के सिक्के को भी बंद किया गया।
सामान्य जनता के लिए जरूरी जानकारी
RBI ने साफ किया है कि:
- पुराने मोटे ₹5 के सिक्के अब भी वैध मुद्रा (legal tender) हैं।
- इन्हें बाजार में तब तक उपयोग किया जा सकता है जब तक वे खराब न हो जाएं।
- जनता को किसी भी अफवाह पर विश्वास न करते हुए केवल RBI की वेबसाइट या आधिकारिक माध्यम से जानकारी लेनी चाहिए।
RBI की आधिकारिक वेबसाइट पर सभी नवीनतम अपडेट उपलब्ध होते हैं।
वर्तमान में चलन में मौजूद सिक्कों की सूची (2025)
मूल्य | स्थिति | विवरण |
---|---|---|
₹1 | प्रचलन में | सामान्य डिजाइन |
₹2 | प्रचलन में | हल्का और नया डिजाइन |
₹5 | प्रचलन में | केवल पतला पीतल वाला सिक्का जारी किया जा रहा है |
₹10 | प्रचलन में | द्वि-धातु (bi-metallic) डिज़ाइन |
₹20 | प्रचलन में | 12 किनारों वाला आधुनिक डिज़ाइन |
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रेजर ब्लेड उद्योग और तस्करी पर असर
RBI के इस निर्णय से उन उद्योगों पर बड़ा असर पड़ेगा जो सिक्कों को पिघलाकर अवैध धंधा चला रहे थे।
- रेज़र ब्लेड बनाने वाले गैरकानूनी नेटवर्क को अब लाभ नहीं मिलेगा।
- बांग्लादेश और अन्य देशों में सिक्कों की तस्करी बंद होने की संभावना है।
- इससे भारतीय मुद्रा में जनता का विश्वास और मजबूत होगा।
मुद्रा सुरक्षा की दिशा में एक ठोस कदम
मोटे ₹5 के सिक्के का उत्पादन बंद करना भले ही छोटा निर्णय लगे, लेकिन इसके पीछे देश की आर्थिक सुरक्षा और मुद्रा प्रणाली की रक्षा छिपी है।
RBI का यह कदम दर्शाता है कि भारत की मुद्रा प्रणाली में सुधार और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए वह सतर्क है।